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नव ग्रह दोष का उपाय

• सूर्य ग्रह - ज्योतिष के मुताबिक, कुंडली में सूर्य ग्रह की मजबूती और उनकी शुभता बढ़ाने के लिए गुड़, आम, गेंहू का सेवन करना चाहिए और तांबे के पात्र में रखे जल को पीना चाहिए.


सूर्य मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

सूर्य के मित्र- चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु

सूर्य के शत्रु- शुक्र, शनि, राहु, केतु


• चन्द्र ग्रह : चंद्रमा का प्रभाव मन पर पड़ता है. चंद्रमा की शुभता के लिए दूध और दूध से बने पदार्थ, गन्ना, चीनी मिठाई और आइसक्रीम आदि पदार्थों का सेवन उत्तम माना गया है. चांदी के पात्र में रखे पानी को पाने से कुंडली के चंद्रमा मजबूत होते हैं।


चंद्र मंत्र – ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः

मित्र- सूर्य, मंगल, गुरु

शत्रु- बुध, शुक्र, शनि, राहु, केतु


• मंगल ग्रह : कुंडली में मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए शहद, जौ, गुड़ और मसूर की दाल का सेवन करना उत्तम होता है. तांबे या पीतल के पात्र में रखा पानी पीना लाभदायक होता है।


मंगल मंत्र – ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

मित्र- सूर्य, गुरु, केतु

शत्रु- शनि, राहु


• बुध ग्रह : हरी दाल, मटर, मूंग, हरी सब्जियां के सेवन और चांदी के पात्र में रखे पानी पीने से कुंडली के बुध मजबूत होते हैं।


बुध मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः

मित्र- चंद्र, शुक्र, शनि

शत्रु- मंगल, गुरु


• देवगुरु बृहस्पति : गुरु की शुभता बढ़ाने के लिए चना दाल, बेसन, केला, हल्दी, मक्का, पीली दाल, पीले फल का सेवन करना चाहिए।


गुरु मंत्र– ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः

मित्र- सूर्य, मंगल

शत्रु- कोई ग्रह नहीं


• शुक्र ग्रह: शुक्र ग्रह की मजबूती के लिए त्रिफला, मिश्री, दाल चीनी, मूली आदि का उपयोग करना चाहिए।


शुक्र मंत्र – ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

मित्र- बुध, शनि, राहु, केतु

शत्रु- सूर्य, गुरु


• शनि ग्रह : शनि के प्रकोप से बचने के लिए सरसों और तिल का तेल, काला नमक, उड़द, लौंग, काली मिर्च, तेज पत्ता, अचार, का सेवन करना चाहिए।


शनि मंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रौ सः शनैश्चराय नमः

मित्र- शुक्र, राहु, केतु

शत्रु- सूर्य, केतु


राहु ग्रह : राहु से मुक्ति के लिए प्रत्येक शनिवार को बहते जल में नारियल प्रवाहित करना और किसी जरूरतमंद को इसके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए तिल और सरसों का तेल, उड़द का इस्तेमाल या दान करना चाहिए।


राहु मंत्र – ॐ राहवे नमः

मित्र- शुक्र, शनि

शत्रु- सूर्य, चंद्र, मंगल, केतु


• केतु ग्रह : हर शनिवार को पीपल के पेड़ में घी का दीपक जलाएं। रोज़ सुबह ब्रश करने के बाद तुलसी के दो पत्ते ग्रहण करें। भगवान गणेश की पूजा करें।


केतु मंत्र- ॐ केतवे नमः

मित्र- मंगल, शुक्र

शत्रु- सूर्य, चंद्र, शनि, राहु





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