धार्मिक/आध्यात्मिक और देवी देवता दुख सुख के प्रश्नों का सारांश



1. ब्रह्मा, विष्णु, महेश के माता-पिता कौन हैं?

   → देवी भागवत पुराण, शिवपुराण और कबीर वाणी के अनुसार ये त्रिदेव "आदि शक्ति" (माया) या परमात्मा की शक्ति से उत्पन्न हुए हैं। सर्वोच्च परमात्मा "परब्रह्म" हैं।


2. शेरावाली माता (दुर्गा) का पति कौन है?

   → दुर्गा देवी (आधि शक्ति) को "काल ब्रह्म" (कर्मों के अनुसार जन्म और मृत्यु देने वाला) की पत्नी कहा गया है। यह विवरण देवी पुराण में मिलता है।


3. हमें जन्म देने व मारने में किस प्रभु का स्वार्थ है?

   → काल (यम, धर्मराज) जीवात्माओं को कर्म अनुसार जन्म-मृत्यु के चक्र में बाँधता है। भगवद गीता (अध्याय 8, श्लोक 16) के अनुसार यह चक्र तब तक चलता है जब तक जीव पूर्ण परमात्मा को प्राप्त नहीं करता।


4. हम इतनी भक्ति करते हैं, फिर भी दुखी क्यों हैं?

   → अधूरी जानकारी और गलत साधना के कारण मनुष्य पूर्ण लाभ नहीं ले पाता। गीता 7:12-15 में कहा गया है कि प्रकृति के देवताओं की भक्ति करने वाले मूढ़ (अज्ञानी) हैं।


5. ब्रह्मा, विष्णु, महेश किसकी भक्ति करते हैं?

   → शिवपुराण और कबीर वाणी में उल्लेख है कि त्रिदेव भी एक परम तत्व की भक्ति करते हैं, जो उनसे परे है – जिसे 'परब्रह्म' या 'सतपुरुष' कहा गया है।


6. पूर्ण संत की क्या पहचान है? मोक्ष कैसे मिलेगा?

   → पूर्ण संत वही है जो वेद, गीता और सभी धर्मग्रंथों के अनुसार परमात्मा का सही ज्ञान दे और तीन लोकों की जानकारी रखे। गीता 4:34 में कहा गया है: "ज्ञानी तत्वदर्शी संत के पास जाकर ज्ञान प्राप्त करो।"


7. परमात्मा साकार है या निराकार?

   → वेदों और गीता (18:61, 15:17) में परमात्मा को "पुरुषोत्तम" और "सर्वत्र स्थित" बताया गया है। वह साकार है – उसका दिव्य रूप है, परन्तु उसकी सत्ता हर जगह है।


8. किसी भी गुरु की शरण में जाने से मुक्ति संभव है या नहीं?

   → नहीं। गीता 4:34 में कहा गया है कि केवल तत्वदर्शी ज्ञानी संत की शरण लेने से ही मोक्ष संभव है।


9. तीर्थ, व्रत, श्राद्ध आदि से लाभ संभव है या नहीं?

   → गीता 9:23-25 में कहा गया है कि जो अन्य देवताओं की पूजा करते हैं, वे स्वर्ग आदि को प्राप्त होकर फिर जन्म लेते हैं। मोक्ष नहीं मिलता।


10. श्रीकृष्ण काल नहीं थे? फिर गीता वाला काल कौन है?

   → गीता 11:32 में श्रीकृष्ण कहते हैं: "मैं काल हूँ।" परंतु यह काल ब्रह्म (कर्मों का फल देने वाला) है, पूर्ण परमात्मा नहीं। पूर्ण ब्रह्म गीता 8:3, 8:8-10 में अलग बताया गया है।


11. पूर्ण परमात्मा कौन है? कैसा है? कहाँ रहता है?

   → परमात्मा 'सतलोक' में रहते हैं। वह साकार हैं, अविनाशी हैं और केवल पूर्ण संत द्वारा बताए जा सकते हैं। कबीर साहेब और गीता 15:17 में इन्हें "उत्तम पुरुष" कहा गया है।


12. क्या राम, हरे कृष्ण, हंस, ओम आदि नामों से मुक्ति संभव है?

   → नहीं, इनसे केवल आंशिक लाभ मिलता है। पूर्ण मुक्ति के लिए वेदों, गीता और गुरु वाणी में बताए गए संपूर्ण नाम (सतनाम, सारनाम आदि) की दीक्षा पूर्ण संत से लेकर करनी होती है।


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